पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥ सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥ भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै।। किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥ दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥ भजन: शिव शंकर को https://shivchalisalyricsinmarath55923.jiliblog.com/87062580/the-5-second-trick-for-lyrics-of-shiv-chalisa